Monday, January 3, 2011

भ्रूण हत्या

कोख की वो कन्या ,उसे जन्म तो लेने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

अपना न सको मुझे ,क्या मेने ऐसा पाप किया
दिखला न सको मुझे दुनिया ,क्या मेने गुनाह किया
मत करो अपराध ऐसा ,मुझको भी मुस्कुराने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

स्वयं समझती हु बिन बोले तुम्हारे भावो की वाणी को
छंद वेश में छिपी असुरता की हर कुटिल कहानी को
सहज निष्कपट होकर ,मुझे खुश रह जाने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

ऋषि के ये शब्द है ,ऐसे धधकते अंगारे
जो मुझ अबला को मारे, विकृत रूप वो धारे
रुढ़िवादी की झंझा में, मुझको न मर जाने दो
पुकार कर के कह रही, इस धरतीपर आने दो..!
-स्वाति 'सरू' जैसलमेरिया

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एक बार निर्मलसा को अंग्रेजी का शोख चढ़ गया
उन्होंने कहा -दी हमे आप अंग्रेजी सिखा दो
हमको सिखाने के लिए एक सुन्दर सी परी लगादो
हमने मिस को पढ़ाने लगा दिया
थोड़े दिनों तक मिस पढ़ाने लगी
...पढाई से ज्यादा वो मिस भाने लगी
एक दिन वो मिस नहीं आई
हमने उसकी डांट लगाई
वो बोली-क्रिकेट की डाकुमेंटरी सुनी
तो स्वातिजी नहीं आ पाई
दुसरे दिन फिर नहीं आई
पूछने पर बोली- पडोसी गुप्ताजी
का ट्रांसफोर्मर हो गया हे
हमने कहा-निर्मलसा ये गलत पढ़ाती है
शब्दों का गलत उच्चारण करती है
आप इससे पढना छोड़ दीजिये
हम कोई और लगवा देंगे
निर्मलसा बोले-अरे कोई बात नहीं "दी"
करेप्शन तो हम कर देंगे
पर अब उनको नहीं छोड़ेंगे
हमने कहा-निर्मलसा करेप्शन
नहीं करेक्शन बोलिए
और कृपया ऐसे लोगो की संगत छोड़िये
जो आपको गलत सिखा रहे है
और आप beauty के चक्कर में भटके जा रहे है

हकीकत

देश का एक महान नेता मर गया
लाखो लोगो की श्रधांजली गटक कर गया
फिर वह नेता नरक के द्वार चला गया
यमराज बोले-चित्रगुप्त इनकी फाइल लाइए
और अतीशीघ्र इनका हिसाब लगाइए
...नेताजी बोले- अरे! करोडो का चुना लगाकर आया हूँ
कई बिस्तर, कई तकिये, कई बाथरूम के टाइल्स में फसाकर आया हूँ
किसी को पता भी नहीं यमराज जी ऐसे ऐसे कारनामे करके आया हूँ
आपको हम वो वो राज़ बतादे
वो नोट कहाँ-कहाँ छिपाए
वो हम आपको बतादे
बस आप हमें यहाँ से निकाल दीजिये
और स्वर्ग की अप्सराओ के पास पंहुचा दीजिये
ये आनंद हम धरती पर नहीं ले पाए
कमबख्त दिन- रात पैसो को चोगुना ही कर पाए
चित्रगुप्त हँसे, बोले- महाराज इनकी फाइल को
देखने में शीग्रता न दिखाईये
इनके कारनामे बताने के लिए मुझे जेसे पांच चित्रगुप्त बुलाइए
में अकेला ज़िन्दगी भर बोलता रहूँगा
तो भी इनके काले कारनामे ख़तम नहीं होंगे
मुझ जेसे पांच चित्रगुप्त लगातार बोलते रहे तो पांच या सात साल लग जायेंगे
~स्वाति (सरू) जैसलमेरिया