Wednesday, March 23, 2011

Sunday, March 13, 2011

समर्पण



अश्रु आते याद करके ,उन वतन के जवानों को
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को

तडपते है प्राण सुनकर, उन जवानों की मौन आहें
चीर देती है कलेजा. आज़ादी की व्याकुल कराहें
छुट गयी पीड़ा ह्रदय में, याद समर्पण कर उनको

शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को

था शहीदों को विश्वास इतना, मानवता की लाज रखेंगे
धर्म राष्ट्र संस्कृति की, रक्षा को तैयार रहेंगे
छा गयी सरहद मावक चतुर्दिक, पूर्णिमा के लाने को

शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को

हाथ यूँ सक्षम किये, न्याय का पक्ष ले सकें
नासिका दुर्घंध के छल में, बिलकुल ना है आ सके
भारत का प्रत्येक मस्तक शीश नवाता उन वीरो को

शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
~स्वाति (सरू) जैसलमेरिया

इंसान

गरीबी हटाने के लिए नेता
'सेमिनार' मनाते है
होटल में बेठ बेठ
वो डिन्नर जमके खाते है
मोटे मोटे अफसर नेता
...एक स्वर में ये गाते है
गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ
और धन उनका हड़प जाते है
किस से छुपा है ये कटु सत्य की
लाखो गरीबन एक समय ही खाते है
सब लेके घूम रहे दूरबीन तो क्या
गरीबी की रेखा को ना देख वो पाते है
ग्रामीण विकास की योजना में
मिलती लाखो की धन राशी
चने बाँट कर गावों में
खुद मलाई-कोफ्ता खाते है
सफ़ेद कपडे और मन हे मैले
फिर भी प्रतिष्टा पाते है
हाय! विधाता तू ही देख
क्या वो 'इंसान' कहलाते है...??

गरीबी



एक गरीब का बच्चा भूख से तड़फ रहा था
कभी इधर कभी उधर लोगो के घरो
में झांक रहा था सुना रहा था
एक भूखा चेहरा अपने पेट की पीड़ा
तब ही उसे दिखाई दिया
...एक अख़बार का टुकड़ा
वह उसे खाने लगा
वह जेसे ही खाने को बढ़ा
तो पास में एक लड़के को देखा
पढ़ लिखा लड़का किसी से बतिया रहा था
अब सरकार जगह-जगह
वर्क्षा-रोपण कर रही है
ये सुन वो बच्चा मुस्कुरा रहा था
दोड़ा दोड़ा वो गया अपनी माँ के पास
बोला -माँ अब मत हो उदास
अब सरकार जगह जगह
वृक्ष लगा रही है
अपने खाने का इंतजाम कर रही है
अब हमे अख़बार खाने की जरुरत नहीं हे
अपनी भूख मिटाने के लिए सरकार
पेड़ो की व्यवस्था कर रही है
उन पत्तो से पेट भर लेंगे
जो सरकार अपनी योजना
में लगा रही है
देश में गरीबी का ये हाल
किसी से छुपा नहीं है
खाने को अन्न नहीं
फिर भी सरकार
करोडो रुप्प्या दुसरे देशो की
मेहमानबाजी में लगा रही है ........
~स्वाति {सरू}जैसलमेरिया

पैसे की कीमत

कंजूस पिता जब मरने की तैयारी में था
बेटा भी कम नहीं ले जाने की फ़िराक में था
मंगवा दिया दो गुना बड़ा कफ़न
और हुआ मन ही मन प्रसन्न
कहा" मेरे पिता ने जीवन में बड़ा कष्ट पाया
...न अच्छा पहना न अच्छा खाया
इसीलिए मैंने दो गुना बड़ा कफ़न मंगवाया
अच्छी तरह से पिताजी को ढककर ले जाऊंगा
अपनी दरियादिली दुनिया को दिखलाऊंगा |"
सुना पिता ने तो खड़े हो गये कान
बोला "बेटा मत कर फ़िज़ूल खर्ची का काम
इस कफ़न के आधे से तू मेरी लाश ढकना
और आधा कफ़न मेरे बेटे संभाल कर रखना
याद रखना तेरा ये कफ़न बेकार नहीं जायेगा
आधा मेरी लाश पर आधा तेरे काम आएगा |"



-स्वाति "सरू " जैसलमेरिया

श्रधान्जली

अश्रु आते याद करके ,उन वतन के जवानों को
शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को

...तड़फते है प्राण सुनकर,उन जवानों की मौन आहें
चीर देती है कलेजा ,आज़ादी की व्याकुल कराहें
छुट गई पीड़ा ह्रदय में ,याद समर्पण कर उनको

शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को

था शहीदों को विश्वास इतना,मानवता की लाज रखेंगे ,
धर्म राष्ट्र संस्कृति की ,रक्षा को तेयार रहेंगे
छा गई सरहद मावक चतुर्दिक,पूर्णिमा के लाने को

शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को

हाथ यूँ सक्षम किये,न्याय का पक्ष ले सके
नासिका दुर्गन्ध के छल में,बिलकुल ना है आ सके
भारत का प्रत्येक मस्तक,शीश नवाता उन वीरो को

शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को

"एक पैगाम वकील के नाम"

प्यारे वकील साहब
आप जहाँ कही भी हो वही पड़े रहना
जो भी कष्ट पड़े अकेले ही सहना
आपके जाने से किसी को भ्रम होगा
ये बात अपने मन में मत पालना
...जब से आप गए है घर में पूर्ण शांति है
आपके बीमार माता-पिता
चैन से जी रहे है
आपकी पत्नी और बच्चे दोनों वक़्त
बोर्नविटा पी रहे है
इसीलिए प्यारे वकील साहब
आप जहाँ कही भी हो वही पड़े रहना
जो भी कष्ट हो अकेले ही सहना
आपके जाने से समाज से झूठ
निकल गया है
जरुर झूठे मुकदमे वालो का
बुरा हाल हो गया है
सही बात को झठा बनाने मै
आप बहुत महारथी थे
आपकी इस कला के कुछ
बहरूपिये दीवाने थे
पर अब जो सत्य है
वही सामने आने लगा
समाज भी शकुन का जीवन जीने लगा
आपके जाने से झूठे लोग जरुर
दुखी हो गए है
पर आपके मोहले वाले सुखी हो गए है
NOTE-
कृपया जहाँ कही भी ये वकील साहब
मिले और जो इन्हें मनाकर
घर लायेगा
उन्हें पुरस्कार नहीं दंड दिया जायेगा !!
स्वाति "सरू" जैसलमेरिया

नेतागिरी

नेतागिरी करने में हम ही आयेंगे फर्स्ट
संभव है ये की कब बदले तक़दीर हमारी
और कब बन जाये हम प्रतिभा पटेल के उतराधिकारी
वो भी तो औरत है हम भी एक औरत
...फिर शंका किस बात की



अगर बात है ज्ञान की
और अछे विद्वान की
वह तो कुर्सी मिलते ही मिल जाता है
मुर्ख भी पद मिलते ही महान बन जाता है
लालू राबड़ी का ये उदाहरण क्या हम ले नहीं सकते
वो तो फिर भी अनपढ़ है हम तो पढ़े-लिखे कहलाते है
मन में हो दृढ संकल्प तो हम भी कुछ कर सकते है
मन का ये संकल्प हमारा



जीवन में कुछ कर जायेंगे
राज्यपाल न सही मोहल्ले के नेता तो बन ही जायंगे
नेता चाहे देश का



हो चाहे मोहल्ले का नेता तो नेता है
और दोस्तों इस बार आपको मुझे ही चुनना है!!!!

गौ माता की पुकार !

ऐ हिंद देश के लोगो मेरी सुनलो दर्द कहानी
क्यों दया धर्मं बिसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी

जब सबको दूध पिलाया, मै गौ माता कहलाई
क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई
बस भीख प्राण की दे दो. मै द्वार तुम्हारे आई
मै सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी

क्यों दया धर्मं बिसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी

जब जाऊ कसाई खाने. चाबुक से पिटी जाती,
उस उबले जल को तन पर मै सहन नहीं कर पाती
जब यन्त्र मौत का आता, मै हाय हाय चिल्लाती
मेरा कोई साथ न देता , यहाँ सबकी प्रीत पहचानी

क्यों दया धर्मं बिसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी

उस समदर्शी इश्वर ने क्यों हमको मूक बनाया
न हात दिए लड़ने को हिन्दू भी हुआ पराया
कोई मोहन बन जाओ रे, जिसने मोहे कंठ लगाया
मै फ़र्ज़ निभाऊ माँ का, पर जग ने प्रीत न जानी

क्यों दया धर्मं बिसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी

मै माँ बन दूध पिलाती, तुम माँ का मांस बिकाते
क्यों जननी के चमड़े से तुम पैसा आज कमाते
मेरे बछड़े. अन्न उपजाते पर तुम सब दया न खाते
"गौ हत्या " बंद करो रे, रहने दो वंश निशानी |
-स्वाति 'सरू' जैसलमेरिया

जन्मकुंडली

मंत्रीजी ने ज्योतिषी
जन्म कुन्डली दिखलाई
कुण्डली को देखकर
ज्योतिष को बेहोशी आयी
मंत्रीजी ने सोचा शायद
पी .एम .के पद पर जाऊंगा
कही मांग न ले मोटी रकम
किसी और को दिखलाउगा
घूमते घूमते मंत्रीजी
आ गये हमारे पास
देख उनकी जन्म कुन्डली
हम भी हो गये हताश
मंत्री जी बोले स्वाति जी
क्या मेरी जन्म कुन्डली
दिखती नही भली
हमने कहा नहीं पंडित जी
हमे समझ मे नही आ रहा
ये जन्म कुन्डली हे या सर्प कुण्डली
तभी से हम सोच रहें है
क्यो होते हैं मन्त्री जी मालामाल?
रिश्वत, भ्रष्टाचार, लूट से
डसकर करते हें दूसरो को कंगाल
ये उनका दोष नहीं
ये उनके ग्रहों का कमाल है
दूसरो को करके हलाल
खुद मालामाल है

मेरा राजस्थान

राजस्थान की पवित्र भूमि और संस्कृति है महान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

गुरुओ की प्रेरणा भरी है सरल सहज वाणी में
दुस्चिन्तन-दुर्भाव दोष नहीं है किसी के मन में
...सदाचार और जन हितकारी की यहाँ पहचान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

राजपूतो के आदर्शो का यहाँ उत्कर्ष्ट नमूना
रहा न कोई एसा कोना शहीदों से सुना
यहाँ का तप निज वाणी में प्रबल शक्तिमान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

परिचित होंगे देश देश के लोगो को यहाँ का प्रेम
अतिथि देवो भाव संस्कृति राजस्थान की देन
सम्मान यहाँ की वाणी में है प्रबल महान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

लगता है ज्यों कई जन्मो के भाग्य हमारे जगे
प्रेम दया करुना में मारवाड़ है आगे
हो प्रयास रहे सदा एसा ही राजस्थान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम



स्वाति "सरू "जैसलमेरिया

नौकरी की तलाश

एक बार हम इंटरव्यू देने के लिए
किसी ऑफिस में गए
सब नशे में धुत
हमारे तो होश उड़ गए
हमने अपनी फाइल साहब के सामने रख दी
फाइल को देख साहब ने गर्मी पेश की
रिकोर्ड हमारा देख हमसे पूछा-
ये क्या हे मेडम "इसमें आपके बाप का नाम कहा है ?
हमने कहा -"नौकरी हमे करनी है श्रीमान
इसमें बाप के नाम का क्या है
बाप तो कोई भी हो सकता है
वक़्त पड़ने पर गधा भी बाप बन सकता है
अगर हुक्म आप हमे नौकरी दे दे
तो इस खाली जगह में हम आपका ही नाम लिख दे
क्योकि आप जेसे ऑफिसर नशे में धुत
कितने बलात्कार करते है
और न जाने हमारे जेसे कितने
बिना बाप के नाम की
फाइल लिए दर दर घूमते है !!!!
स्वाति" सरू "जैसलमेरिया

दोस्ती

दोस्त होता है जीवन में ज्यो विस्तृत आकाश सा
प्राण प्रवाहित करता है विपदा में बन जीवन के श्वास का

दोस्त का ना दिल दुखाना जाने या अनजाने में
उसे कभी हीन न समझना धन पद शिक्षा के अभिमान में
...दोस्त के मन का हर शब्द भी होता है सरल भाव का
दोस्त होता है जीवन में ज्यो विस्तृत आकाश सा

दोस्त ही दीपक बन जलने की सिख देता है
हर विपरीत हवा में निर्भय चलना वोही सिखाता है
वाणी से ही नहीं जीवन में अभ्यास आचरण के वृक्ष का
दोस्त होता है जीवन में ज्यो विस्तृत आकाश सा

दोस्त के निकट पहुंचकर देखना जब भी मन असहाय हो
मूल्यहीन है उसके सन्मुख भले ही बड़े-बड़े अनुदाय हो
उसके आंचल में थम जायेंगे चाहे भीषण तूफ़ान सा
दोस्त होता है जीवन में ज्यो विस्तृत आकाश सा

मन मरुस्थल हो जाता है सुख जाते नयनो के नीर
पर दोस्त के प्यार को ना आँका जाता वो होता है धीर
कही नहीं मिलती जब दूर-दूर आशा की किरण
दोस्त ही लौ बन उठाता वो होता रूप इश्वर का
दोस्त होता है जीवन में ज्यो विस्तृत आकाश सा

सबसे बड़ा रुप्प्या

ज़िन्दगी की रफ़्तार तो देखो
अपने कदमो की चाल तो देखो
फैशन की ये भीड़ केसी
हर मिनट बदलाव देखो
दो घंटे में बदल जाती है
...बालो की स्टाइल
आजकल के छोरे छोरीया
की झूठी Smile
मन से है दुखी पर
क्या करते दिखावा
इधर उधर से मांग कर
पहनते है पहनावा
बाप का पैसा रोब है ऐसा
जेसे खुद की है मेहनत
अय्याशी में उड़ा उड़ा कर
क्या दिखाते शानो शोकत
न जेब में पैसा है दोस्त भी ऐसा
दोनों का एक ही विजन
मारो लूटो कही से मिले
बस अपने को धन
पैसा ही अब माइ बाप हमारा
माबाप की न है कीमत
बस एक ही उद्देश्य हमारा
केसे भी जीने का
बस एक ही रव्व्या
इस दुनिया में यारो
सबसे बड़ा रुप्प्या.......
~स्वाति(सरू)जैसलमेरिया

चरण स्पर्श

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते हे चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम

आपके हरपल हरक्षण में बसता है उपकार सदा,
परोपकार ही जीवन हे ये ही आपका वाक्य सदा,
आपके श्रीचरणों में में शीश सश्र्धा से रखती हूँ,
अपने हार्दिक भाव से अर्चन वंदन करती हूँ
ऐसे देवपुरूशो से मेरा जीवन हुआ महान!

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते है चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम!

समर्पण की सदा आपने एक छवि फेलाई है,
भारतीय संस्क्रती की सदा भावना हममे जगाई है,
धर्म अगर जीवन सरिता का मधुर मोड़ बन सकता है
कर्म अगर आगामी जीवन का संबल बन सकता है
तो मुझे मिले सदा आपके राह का ही प्रावदान

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते हे चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम

शिक्षा

मास्टरजी कक्षा में बच्चो को पढ़ा रहे थे
कुछ शरारत कर रहे तो कुछ समझ रहे थे
एक बच्चे की शरारत पर मास्टरजी को क्रोध आया
और उन्होंने उस छात्र पर जोर से तमाचा लगाया
बोले -पिताजी तुम पर इतना खर्च कर
...तुम्हे जीवन में कुछ बनाने की सोच रहे हे
और एक तुम नादान हो जो व्यर्थ में समय
बर्बाद कर रहे हे
समय की कीमत को समझो ,अगर नहीं पहचानोगे
कुछ नहीं कर पाओगे बस यही रह जाओगे
घर जाकर छात्र ने पिताजी को ललकारा
आप तो नेता हो और मास्टरजी ने मुझे मारा
आँखे लाल बदन गरम करके आये नेता जी
बोले- "बुद्धि ख़राब हो गयी क्या मास्टर जी?"
मास्टर जी बोले- "में आपके बच्चे की जीवन में
सही राह पर चलने की बाते सिखा रहा था
उसे में एक अच्छा इन्सान बना रहा था"
नेता जी ने कहा- " अब ज़माना बदल गया है
जो करते है गद्दारी, भ्रष्टाचारी, दुराचारी, व्यभिचारी
वे ही नेता कहलाते है और वे ही अच्छी प्रतिष्ठा पते है
बाकि सब अच्छे इन्सान बनने के चक्कर में पेट भी नहीं भर पाते है
"मेरा बेटा भी मेरी तरह नेता ही बनेगा
वह इंसान बनकर क्या करेगा.....?"

"ऐ मेरे वतन के लोगो "

ऐ मेरे वतन के लोगो, तुम इतना जान लेना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

खाई थी गोलिया सीने में धंस धंस कर
उफ़! ये दर्द कैसा था, अपने वतन को लेकर
जब ठान लिया था हमने अपना है मुल्क बचाना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

आज़ादी पायी हमने इन लोगो के लहू से
मुमकिन नहीं सफ़र था ये मुल्क को बचाना
हर बूंद का एक कतरा इसको तो भाप लेना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

कही खो न जाये हमसे आज़ादी का सफ़र ये
की हे मशक्कत इतनी हर आग की लपट से
इस चैन की घडी को बेकार मत करना

कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

~Swati (Saru) Jaisalmeria

आज के नेता

आज के नेता
नेता के चमचे
मानो जी हुजूरी की
बदबू के गमछे
नेता एक चमचे अनेक
यानी एक हसीना सौ दीवाने
जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ रही है
वैसे ही चमचो की तादाद बढ़ रही है
राष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा
चमचो में तब्दील हो रहा है
तभी भारत अपना स्वाभिमान खो रहा है
मेरी गुजारिश है देश के नागरिको से
कोई एसा दूरबीन की खीज करो
जिससे डॉक्टर इन चमचो की नसबंदी कर सके ,
और गरीब देश की जनता का
सबसे बड़ा दुःख हर सके
ये चमचे गरीबो को लुटते है
और बेचारे नेताओ को बदनाम करते है !!!

ख़ुशी

एक बार हमारे नास्तिक मित्र
भरत बन्ना का आमंत्रण आया
...सत्यनारायण की कथा में हमको
खास बुलावा आया
...उनका ये मन परिवर्तन
देख हमारा मन भी ख़ुशी से हरषाया
हमने पूछा-बन्ना ये केसे हो गया
आपका नास्तिक मन भगवान की भक्ति
में केसे खो गया
बन्ना बोले स्वतिजी
सत्यनारायण की कथा करवा रहा हूँ
तो सत्य ही कहूँगा
और ये सत्य आपको समर्पित करूँगा
आप तो जानती है अभी रोजगार
की बलिहारी है
कथा से भी अधिक मुझे
आरती में चढाई जाने वाली रेजगारी प्यारी है
शराब तो आपके कहने से छोड़ दिया हूँ
पर रेजगारी के मोह में पड़ गया हूँ
और कट्टर भगवान का भक्त हो गया हूँ
हमने कहा ये तो ख़ुशी की बात है
भगवान की शरण में लालच से भी
गए हो तो भी ये याद रखना
जब नज़र पड़ेगी उस खुदा की
तो अपना कल्याण समझना

मेरी सोच

क्यों न करे हम कुछ एसा नया
कुछ करने का नियत समय हो गया
अब जागेगा सूर्य मन के विश्वास का
मेरे मन में अब एसा उदय हो गया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

राह में चाहे जितनी भी बाधा अड़े
देखना हे की गति ये न मद्धम पड़े
लक्ष्य निश्चित मिलेगा जो हम ठान ले
सिर्फ क्षमताये जो अपनी पहचान ले
चल पड़े जब कदम सत्य के मार्ग पर
तो बनाले हम उसी को और
रच दे एक विश्व नया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

मार्ग दर्शक सवयं अपने भगवान हो
तो क्यों हम निरर्थक परेशान हो
ज्योति विश्वास की ज्वाल बन जाएगी
तो मेरे मन की शक्ति भी न रुक पायेगी
पार करने कराने को है इश्वर देना शक्ति
हम अपने जीवन में कुछ करने को तैयार है
नाम हमारा रोशन हो कुछ करले हम नया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

मानव ही मानव का हथियार बन गया

ऐ खुदा तू देख तेरे संसार में क्या हुआ
मानव ही मानव का हथियार बन गया

जुल्म की नगरी बनी पाप बनी हवा,
आंधिया रोकर कहे बेबस औरत की कथा,
ईमान का घड़ा अब सर्वनाश नाश हो गया
मानव ही मानव का हथियार बन गया!

लहरों की तरह हिंसा बढ़ी बना समुन्द्र खून,
रोटी ये दासताएँ धरती रही है बुन,
नासूर तो अब यहाँ सौगात बन गया,
मानव ही मानव का हथियार बन गया

खेरात के नाम पर मिलती हे गालिया,
इन्साफ के नाम पर मिलती हे लाठिया,
अपनों ने ही अपनों को बदनाम कर दिया
मानव ही मानव का हथियार बन गया

कुर्सी को पाने में क्या क्या गुल खिलाये
इसी छिना झपटी में बेइंतिहा खून बहाए
न जाने क्यों देश को बर्बाद कर दिया
मानव ही मानव का हथियार बन गया


ऐ खुदा तू देख तेरे संसार में क्या हुआ
मानव ही मानव का हथियार बन गया

स्वाति" सरू" जैसलमेरिया

"आमंत्रण "part -1

है मित्र तुम्हे आमंत्रण है लड़के के मुंडन में आना
पर कृपया बीवी बच्चो का काफिला संग में न लाना
वेसे ही खर्चे बढे हुए है फिर ये भीषण महंगाई है
बस इसीलिए एकादशी की तिथि मेने ठहराई है
भोजन की चिंता मत करना नियम संयम से दिन कट जायेंगे
व्रत एकादशी निभाने से वेकुंठधाम पहुँच जायेंगे
मेहमान आये मेरे दोस्त मनवार मत करना
कम खाने के बहुत फायदे है ये उनको समझाना
आने की जल्दी नहीं समय पर ही आना
कार्यक्रम खत्म होते ही जाने की जल्दी करना
~आपका दोस्त" राम"

आमंत्रण का जवाब part-2

या खुदा ए दोस्त ये केसा प्रेम बरसाया है
मेरे घर भी एक नन्हा बालक आया है
उसके भी मुंडन का विचार मन में आया है
तिथि एकादशी का दिन मेने भी ठहराया है
अपने आमंत्रण में तेरे घर का पता लिख दूंगा
बीवी बच्चे सभी बीमार है मेहमानों से कह दूंगा
बस तू मेरे मेहमानों से मुहं मत फुलाना
मुस्कराते रहना हाथ जोड़कर अच्छे से स्वागत करना
मंहगाई है बहुत आमंत्रण सबको नहीं भिजवाऊंगा
अपने अजीज प्रेमी व रिश्तेदारों को बुलाऊंगा
कम खाने के बहुत फायदे है ये ज्ञान दूंगा में सभी को
बाकि तो राम ही राखे रोक तो नहीं सकते किसी को
जो बचेगा पीछे से खाना मिलबांट कर के ले लेंगे
अपने बीवी बचो के सामने बहुत तेरी तारीफ करेंगे
तेरा दोस्त "श्याम"

"देश की हालत"

क्रिकेट के जाने माने स्तम्भ थे
सेंच्युरी बेट्समेन थे
इन्हें इस बात का गम नहीं की ये
आउट हो गए थे ,
पर हमे गम इस बात का है ,
...जिस खिलाडी ने गेंद बल्ले का आज तक हाथ नहीं लगाया था
उसी खिलाडी से वे आउट हो गए थे
क्योकि उसके लिए उनकी जेब में
करोड़ो रुप्प्ये भरे गए थे
देश की भोली भाली जनता
ये सब जानती है,
फिर भी कोई स्टेप क्यों नहीं उठा नहीं पाती है !
अरे अगर ये पैसा उन शहीदों के घरो में दिए जाये
जो अपने पति ,बेटो को, देश की रक्षा के
लिए कुर्बान कर देते है ,
और अपने दुसरे बेटो को फिर वतन
की रक्षा के लिए
कफ़न ओढाने फिर भेज देते है,
पर ये जानकर दुःख होता है
कि शहीद की माँ ,पत्नी दो वक़्त की रोटी के लिए
दर-दर भटकती है
और इन सट्टे बाजो की
बीवियां हवाई जहाजो में घुमती है
स्वाति (सरू) जैसलमेरिया

"दुनिया की रीत"

भाषण से भी ज्यादा कविता जमती है
भाषण मर्द है कविता औरत
इसीलिए कविता कवियत्री के मुहं से फबती है

पानी का मटका ,सुराही भी पानी की
मटके से ज्यादा सुराही प्रिय लगती है
अपनी औरत चाहे कितनी भी सुन्दर हो
फिर भी अपनी से ज्यादा पराई भली लगती है

श्वेत वस्त्र पहनती ,श्रंगार नहीं करती
फिर भी सेठानी से ज्यादा सेठ को नर्स
प्यारी लगती है
कहती है "सरू" सुनना मेरे भाई ये दुनिया की
रीत बड़ी प्यारी लगती है
~~~स्वाति (सरू) जैसलमेरिया

"मत देना किसी को ज्ञान"

किसी को मत समझाना
वर्ना उलटे ही मुहं की खाना
कुछ सुनिए हमारे मुहं से किस्से
किस तरह से लोग अपने ही जाल में फंसे
१) डॉक्टर ने लंगड़े पर तरस खाया
...उसके वार्ड में सुन्दर नर्स को भिजवाया
नर्स से कहा-तिरछी नजर फेंकना
इस तरह से घुमा घुमा कर एक्सरसाइज़ करवाना
तिरछी नजरो से हुआ इतना जल्दी सुधार
दस मंजिल से कूद लंगड़ा हुआ फरार
नर्स को चकमा देकर
डॉक्टर का पर्स लेकर
२)खूसट सास ने घर से गेस हटाया
बहु को स्टोव की तकनीक पर समझाया
अगर दहेज़ नहीं मिलेगा
तो घर में स्टोव जलेगा
बहु भी कमाल की ली सास की सीख़
सास के शीश पर रख दी वह तकनीक
युक्ति क्या खूब चल गई
वो खूसट सास जल गई
३) कहा गुरु ने शिष्य को दिया शिक्षा पर ज्ञान
कुछ जीवन में करना है तो दो विद्या पर ध्यान
ध्यान से ज्ञान बढेगा
आगे का रास्ता मिलेगा
किया शिष्य ने ज्ञान का एसा काम तमाम
गुरु की सुन्दर लड़की जिसका विद्या था नाम
उसी पर ध्यान लगाकर
ले गया उसे भगाकर
वाह रे दुनिया तुझे सलाम
किसको समझाए यहाँ सभी धुरंधर महान
पढ़कर लेना सीख़ "सरू " की
मत देना किसी को ज्ञान
स्वाति(सरू) जैसलमेरिया

"कर्मवीर"

जो गिरकर उठ चलना सीखे
वही क्रम है जीवन का
कर्मवीर तो हार न माने
कभी जीत और हार का

...क्या मर्म है सत्य का
इसको कोई समझ न पाते
जन्म मरण से विरहित होकर
सुख दुःख से बच न पाते
चिंतन मंथन से पथ मिलता
त्रुटियों के परिहार का
कर्मवीर तो हार न माने
कभी जीत और हार का

दुःख का रोना रोने से
कभी न कोई जीता है
हंस कर सहन कर लेता हे जो
वही अमृत को पिता है
आत्म विश्वास ही जीवन में
द्रढ़ता के आधार का

कर्मवीर तो हार न माने
कभी जीत और हार का

जो भी होता अपने जीवन में
वह अपने कर्मो का पाता है
कभी लगता है दंड
कभी वही पुरस्कार बन जाता है
जो राह पकड़ता सत्य की
और करता प्रबल समर्थन उसका

कर्मवीर तो हार न माने
कभी जीत और हार का
~स्वाति(सरू)जैसलमेरिया

"सफलता"

सफल होना है तो असफलताओं से न घबराओ
कुछ करना है जीवन में तो आत्मविश्वास जगाओ

काम करो इतना ना करो परवाह पसीने की
मेहनत ही रंग लाती है ये बात सुनलो जीवन की

याद करो सिकन्दर जो बना जगत में महान
ठान लिया जब उसने तो ली भारत पर कमान

जो भी करो जीवन में लक्ष्य तुम बनाओ
उस लक्ष्य पर नजर रखकर आगे बढ़ते जाओ

पाओगे निश्चित सफलता जब द्रढ़-निश्चय होगा
कहती है "सरू"मंजिल जीवन में वो ही प्राप्त करेगा
~स्वाति(सरू)जैसलमेरिया

एक सिंह की सच्ची प्रेम कहानी (Part - I)

ये क्या कमाल हो गया ये क्या बेमिसाल हो गया
हमारे शब्दों की लेखनी से किसीको हमसे प्यार हो गया
कुछ शब्द उन्होंने सांधे कुछ शब्द हमने बाँधे
शब्दों का ये रूप हमारा केसे बेहिसाब हो गया
ये क्या कमाल हो गया ये क्या बेमिसाल हो गया

हंसी ख़ुशी की दुनिया थी मस्ती का वो आलम था
कागज की वो कश्ती थी नदी का वो किनारा था
न दुनिया की चिंता थी न मन में द्वेष हमारे था
अल्हड सा वो बचपन मेरा किना रूप न्यारा था
ख़ुशी के उन्ही शब्दों में जाने क्या कमाल हो गया
ये क्या कमाल हो गया ये क्या बेमिसाल हो गया

कुछ समझ न पाए वो कुछ समझ न पाए हम
किन शब्दों ने खेल रचा कुछ जान न पाए हम
संभले तभी हमपर क्या खुमार हो गया
ये क्या कमाल हो गया ये क्या बेमिसाल हो गया

कलम हमारी छुट गयी शब्द हमारे रूठ गये
तभी उन्होंने हमें सभाला वर्ना हम तो ठहर गये
शब्द उन्ही के सुन सुन कर, लिखने का आसार हो गया
उफ़ ये क्या कमाल हो गया. उफ़ ये क्या बेमिसाल हो गया

पहले उनको हमारे लेखन से प्यार था
अब उनको हमसे प्यार हो गया
और हमको उनसे प्यार हो गया....!!

एक सिंह की सच्ची प्रेम कहानी (Part - II)

वो सफ़र सुहाना था,दिल को बहुत लुभाता था
अनजाने से प्रेम को न समझ में पाता था
अजीब सी वो कशिश थी धड़कन ने जोर मारा था
धीरे धीरे प्रेम मेरा मुलाकात में बदल गया

उफ़ ये कमाल हो गया अनजाने में हमे प्यार हो गया

वो नजर का मिलना ,दिल की धड़कन का बढ़ना
वो उनका शर्माना शरमा के यूँ मुस्कुराना
समय का थम सा जाना उन्हें निहारते रहना
योवन का वो खिला खिला उन पर हुस्ने वार हो गया

उफ़ ये कमाल हो गया अनजाने में हमे प्यार हो गया

जब भी मिलते उनसे,क्यों धड़कन बढ़ जाती थी
दिल की बाते क्यों हमारे होंठो पे न आती थी
छूकर उनके हाथो को क्यों मन सिहर सा जाता था
क्या होता है ये प्यार ,बस दिल ये ही कहता था
कुछ समझ पाए उससे पहले दिल हमारा उस पार हो गया

उफ़ ये कमाल हो गया अनजाने में हमे ये कैसा प्यार हो गया

एक सिंह की सच्ची प्रेम कहानी (Part - III)

प्यार की वो कसमे, वो बंधन भी अनोखा था
हर पल की खबर थी हमको, क्या अजीब कशिश था
था महकता योवन उनका ,थी खुशबू उस रूप में
डर था कही बहक न जाये, उम्र के इस दौर में
पर मन में प्रेम इतना था उनपर बेमिसार हो गया

उफ़ ये कमाल हो गया ये केसा प्यार हो गया

कई मशक्कत के बाद, हमारी मुलाक़ात होती थी
बहुत कुछ चाहते थे कहना, पर जुबां क्यों बंद हो जाती थी
हर बार बस उन्हें निहार- निहार कर,वक़्त सिमट सा जाता था
उनका रूठना और मनाना, बस इतना ही हो पाता था
आज कही जीवन का ये पल, उनपर खुमार हो गया

उफ ये कमाल हो गया.............

आज साँसे थमी हुई थी, पलके उनकी झुकी हुई थी
कह रहा दिल कहदु ,आज मन की सारी बातें
अब सिमट जाए हम तुम, एक रस्म में जेसे धागे
कह दिया दिल ने आज उसे, हमें तुमसे प्यार हो गया

उफ़. ये कमाल हो गया...........

उनकी धड़कन रुक गयी ,मानो बिजली गरज गयी
ये संभव हे नहीं ,बस इतना कह कर चली गयी
क्या बात हम न समझ सके, न उनके मन की जान सके
तूफ़ान हमारे दिल का बेकरार हो गया

उफ़. ये कमाल हो गया....................

क्या प्यार करना है गुनाह? क्या हमने कोई पाप किया?
किसी दिल को दिल से चाहा? क्या हमने कोई हलाल किया?
क्यों उनकी आँखे है नम? क्या कोई हमें कोई समझाएगा?
क्या फिर दुनिया रोकेगी? क्या ये प्यार सिमट कर रह जाएगा?
उठ गये तूफ़ान मन में क्यों दिल आफ़ताब हो गया

उफ़ ये क्या हो गया................

कुछ समझ पाए उससे, पहले तानाकाशी होने लगी
दो परिवारो में हमारे, प्यार की अब चर्चाये होने लगी
क्यों गलत समझ कर हमको आवारा बना दिया
हमारे प्यार के सुन्दरता को बेदाग़ करके रख दिया

उफ़ ये क्या हो गया..................

आज हमारे प्यार पर ,ये केसी रोक लग गयी
एक झलक पाने को आज आँखे तरस गयी
हमारे ही परिवारों ने हमारे प्यार को
कलंक बना कर रख दिया
ये पाक प्रेम हमारा आज बदनाम होकर रह गया

उफ़ ये क्या हो गया .......................

Continued...

एक सिंह की सच्ची प्रेम कहानी (Part - IV)

क्यों कोई समझ न पाता हमने तो बस प्यार किया है
वो प्रेम जो कृष्ण ने राधे रानी से किया है
तन के रिश्ते भी क्या होते होंगे यहाँ तो मन मिल गया है
मन ने ही मन को अपना बनाकर रख दिया
उफ़ ये क्या हो गया ......
इस प्यार को कोई समझ नहीं पाया
हमने भी अपनी ख़ुशी को कुर्बा कर समझाया
प्रेम का ये समर्पण दिल ने कर दिया
पर आत्मा का प्रेम हमेशा ही छु गया
उफ़ ये क्या ही गया .....
ये दुआ करता हु वो तुम जहा भी रहो खुश रहो
तुम्हे जीवन में वो ख़ुशी मिले जो तुम चाहो
गम तुम्हारे जीवन में दूर दूर तक न रहें
क्यों आंसुओ से आज में बेताब हो गया
उफ़ ये क्या हो गया .....
जब तक जीवित हूँ ये दुआ करता रहूँगा
हर ख़ुशी हो तुम्हारे आँचल में हो ये कामना करता रहूँगा
जो मिले जीवन में साथी तुम्हे इतना प्यार दे
कभी सपने में भी तुम हमे याद न करे
तुम्हारी यादो से आज में दीवाना हो गया
उफ़ ये क्या हो गया ....