Monday, January 3, 2011

भ्रूण हत्या

कोख की वो कन्या ,उसे जन्म तो लेने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

अपना न सको मुझे ,क्या मेने ऐसा पाप किया
दिखला न सको मुझे दुनिया ,क्या मेने गुनाह किया
मत करो अपराध ऐसा ,मुझको भी मुस्कुराने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

स्वयं समझती हु बिन बोले तुम्हारे भावो की वाणी को
छंद वेश में छिपी असुरता की हर कुटिल कहानी को
सहज निष्कपट होकर ,मुझे खुश रह जाने दो
पुकार कर के कह रही ,इस धरती पर आने दो

ऋषि के ये शब्द है ,ऐसे धधकते अंगारे
जो मुझ अबला को मारे, विकृत रूप वो धारे
रुढ़िवादी की झंझा में, मुझको न मर जाने दो
पुकार कर के कह रही, इस धरतीपर आने दो..!
-स्वाति 'सरू' जैसलमेरिया

4 comments:

  1. na palatkar dekho ki bitiya kaha pahuch gai,
    na doli se na dori se-wo to rocket se brhmand naap gai,
    nazre uthakar dekho jara, ab wo aawam ki aawaj hai,
    bete ki chah me,beti khone wale tujhe janm dene wali bhi maa hai,
    are bete-bete ki rat-ab na lagne do,
    beti bhi utha sakti hai budape ka bojha,
    ye naara ghar-ghar gunj jane do,
    pukar kar keh rahi hai bitiya,
    is dharti par use aane do..
    aane do....

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