Sunday, March 13, 2011

ख़ुशी

एक बार हमारे नास्तिक मित्र
भरत बन्ना का आमंत्रण आया
...सत्यनारायण की कथा में हमको
खास बुलावा आया
...उनका ये मन परिवर्तन
देख हमारा मन भी ख़ुशी से हरषाया
हमने पूछा-बन्ना ये केसे हो गया
आपका नास्तिक मन भगवान की भक्ति
में केसे खो गया
बन्ना बोले स्वतिजी
सत्यनारायण की कथा करवा रहा हूँ
तो सत्य ही कहूँगा
और ये सत्य आपको समर्पित करूँगा
आप तो जानती है अभी रोजगार
की बलिहारी है
कथा से भी अधिक मुझे
आरती में चढाई जाने वाली रेजगारी प्यारी है
शराब तो आपके कहने से छोड़ दिया हूँ
पर रेजगारी के मोह में पड़ गया हूँ
और कट्टर भगवान का भक्त हो गया हूँ
हमने कहा ये तो ख़ुशी की बात है
भगवान की शरण में लालच से भी
गए हो तो भी ये याद रखना
जब नज़र पड़ेगी उस खुदा की
तो अपना कल्याण समझना

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