Sunday, March 13, 2011

"ऐ मेरे वतन के लोगो "

ऐ मेरे वतन के लोगो, तुम इतना जान लेना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

खाई थी गोलिया सीने में धंस धंस कर
उफ़! ये दर्द कैसा था, अपने वतन को लेकर
जब ठान लिया था हमने अपना है मुल्क बचाना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

आज़ादी पायी हमने इन लोगो के लहू से
मुमकिन नहीं सफ़र था ये मुल्क को बचाना
हर बूंद का एक कतरा इसको तो भाप लेना
कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

कही खो न जाये हमसे आज़ादी का सफ़र ये
की हे मशक्कत इतनी हर आग की लपट से
इस चैन की घडी को बेकार मत करना

कुर्बा हुआ है इसपर, हर मुल्क हर ठिकाना

~Swati (Saru) Jaisalmeria

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