Sunday, March 13, 2011

"देश की हालत"

क्रिकेट के जाने माने स्तम्भ थे
सेंच्युरी बेट्समेन थे
इन्हें इस बात का गम नहीं की ये
आउट हो गए थे ,
पर हमे गम इस बात का है ,
...जिस खिलाडी ने गेंद बल्ले का आज तक हाथ नहीं लगाया था
उसी खिलाडी से वे आउट हो गए थे
क्योकि उसके लिए उनकी जेब में
करोड़ो रुप्प्ये भरे गए थे
देश की भोली भाली जनता
ये सब जानती है,
फिर भी कोई स्टेप क्यों नहीं उठा नहीं पाती है !
अरे अगर ये पैसा उन शहीदों के घरो में दिए जाये
जो अपने पति ,बेटो को, देश की रक्षा के
लिए कुर्बान कर देते है ,
और अपने दुसरे बेटो को फिर वतन
की रक्षा के लिए
कफ़न ओढाने फिर भेज देते है,
पर ये जानकर दुःख होता है
कि शहीद की माँ ,पत्नी दो वक़्त की रोटी के लिए
दर-दर भटकती है
और इन सट्टे बाजो की
बीवियां हवाई जहाजो में घुमती है
स्वाति (सरू) जैसलमेरिया

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