कुछ शरारत कर रहे तो कुछ समझ रहे थे
एक बच्चे की शरारत पर मास्टरजी को क्रोध आया
और उन्होंने उस छात्र पर जोर से तमाचा लगाया
बोले -पिताजी तुम पर इतना खर्च कर
...तुम्हे जीवन में कुछ बनाने की सोच रहे हे
और एक तुम नादान हो जो व्यर्थ में समय
बर्बाद कर रहे हे
समय की कीमत को समझो ,अगर नहीं पहचानोगे
कुछ नहीं कर पाओगे बस यही रह जाओगे
घर जाकर छात्र ने पिताजी को ललकारा
आप तो नेता हो और मास्टरजी ने मुझे मारा
आँखे लाल बदन गरम करके आये नेता जी
बोले- "बुद्धि ख़राब हो गयी क्या मास्टर जी?"
मास्टर जी बोले- "में आपके बच्चे की जीवन में
सही राह पर चलने की बाते सिखा रहा था
उसे में एक अच्छा इन्सान बना रहा था"
नेता जी ने कहा- " अब ज़माना बदल गया है
जो करते है गद्दारी, भ्रष्टाचारी, दुराचारी, व्यभिचारी
वे ही नेता कहलाते है और वे ही अच्छी प्रतिष्ठा पते है
बाकि सब अच्छे इन्सान बनने के चक्कर में पेट भी नहीं भर पाते है
"मेरा बेटा भी मेरी तरह नेता ही बनेगा
वह इंसान बनकर क्या करेगा.....?"
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