Sunday, March 13, 2011

मेरी सोच

क्यों न करे हम कुछ एसा नया
कुछ करने का नियत समय हो गया
अब जागेगा सूर्य मन के विश्वास का
मेरे मन में अब एसा उदय हो गया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

राह में चाहे जितनी भी बाधा अड़े
देखना हे की गति ये न मद्धम पड़े
लक्ष्य निश्चित मिलेगा जो हम ठान ले
सिर्फ क्षमताये जो अपनी पहचान ले
चल पड़े जब कदम सत्य के मार्ग पर
तो बनाले हम उसी को और
रच दे एक विश्व नया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

मार्ग दर्शक सवयं अपने भगवान हो
तो क्यों हम निरर्थक परेशान हो
ज्योति विश्वास की ज्वाल बन जाएगी
तो मेरे मन की शक्ति भी न रुक पायेगी
पार करने कराने को है इश्वर देना शक्ति
हम अपने जीवन में कुछ करने को तैयार है
नाम हमारा रोशन हो कुछ करले हम नया

क्यों न करे हम कुछ एसा नया

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