शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को
...तड़फते है प्राण सुनकर,उन जवानों की मौन आहें
चीर देती है कलेजा ,आज़ादी की व्याकुल कराहें
छुट गई पीड़ा ह्रदय में ,याद समर्पण कर उनको
शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को
था शहीदों को विश्वास इतना,मानवता की लाज रखेंगे ,
धर्म राष्ट्र संस्कृति की ,रक्षा को तेयार रहेंगे
छा गई सरहद मावक चतुर्दिक,पूर्णिमा के लाने को
शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को
हाथ यूँ सक्षम किये,न्याय का पक्ष ले सके
नासिका दुर्गन्ध के छल में,बिलकुल ना है आ सके
भारत का प्रत्येक मस्तक,शीश नवाता उन वीरो को
शहीद हो गए वो शीश ,वतन की लाज बचाने को
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