अश्रु आते याद करके ,उन वतन के जवानों को
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
तडपते है प्राण सुनकर, उन जवानों की मौन आहें
चीर देती है कलेजा. आज़ादी की व्याकुल कराहें
छुट गयी पीड़ा ह्रदय में, याद समर्पण कर उनको
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
था शहीदों को विश्वास इतना, मानवता की लाज रखेंगे
धर्म राष्ट्र संस्कृति की, रक्षा को तैयार रहेंगे
छा गयी सरहद मावक चतुर्दिक, पूर्णिमा के लाने को
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
हाथ यूँ सक्षम किये, न्याय का पक्ष ले सकें
नासिका दुर्घंध के छल में, बिलकुल ना है आ सके
भारत का प्रत्येक मस्तक शीश नवाता उन वीरो को
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
~स्वाति (सरू) जैसलमेरिया
"भारत का प्रत्येक मस्तक शीश नवाता उन वीरो को"
ReplyDeleteशहीदों को श्रद्धांजलि - सार्थक रचना
शहीद हो गए वो शीश, वतन की लाज बचाने को
ReplyDeleteदेशभक्ति से ओत- प्रोत भावनापूर्ण कविता के लिए बधाई .. सुन्दर कविता ... यहाँ भी पधारिये http://unbeatableajay.blogspot.com/
देश प्रेम से भरी अच्छी रचना....
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
देशप्रेम से ओत प्रोत रचना ने मन मोह लिया..........आभार
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