Sunday, March 13, 2011

मेरा राजस्थान

राजस्थान की पवित्र भूमि और संस्कृति है महान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

गुरुओ की प्रेरणा भरी है सरल सहज वाणी में
दुस्चिन्तन-दुर्भाव दोष नहीं है किसी के मन में
...सदाचार और जन हितकारी की यहाँ पहचान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

राजपूतो के आदर्शो का यहाँ उत्कर्ष्ट नमूना
रहा न कोई एसा कोना शहीदों से सुना
यहाँ का तप निज वाणी में प्रबल शक्तिमान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

परिचित होंगे देश देश के लोगो को यहाँ का प्रेम
अतिथि देवो भाव संस्कृति राजस्थान की देन
सम्मान यहाँ की वाणी में है प्रबल महान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम

लगता है ज्यों कई जन्मो के भाग्य हमारे जगे
प्रेम दया करुना में मारवाड़ है आगे
हो प्रयास रहे सदा एसा ही राजस्थान
मारवाड़ की रज-कण को सत सत मेरा प्रणाम



स्वाति "सरू "जैसलमेरिया

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