Sunday, March 13, 2011

चरण स्पर्श

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते हे चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम

आपके हरपल हरक्षण में बसता है उपकार सदा,
परोपकार ही जीवन हे ये ही आपका वाक्य सदा,
आपके श्रीचरणों में में शीश सश्र्धा से रखती हूँ,
अपने हार्दिक भाव से अर्चन वंदन करती हूँ
ऐसे देवपुरूशो से मेरा जीवन हुआ महान!

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते है चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम!

समर्पण की सदा आपने एक छवि फेलाई है,
भारतीय संस्क्रती की सदा भावना हममे जगाई है,
धर्म अगर जीवन सरिता का मधुर मोड़ बन सकता है
कर्म अगर आगामी जीवन का संबल बन सकता है
तो मुझे मिले सदा आपके राह का ही प्रावदान

आपकी सालगिरह पर हम सबका षाष्ठांग प्रणाम
जिनके सत्कर्मो से जीवित हो उठते हे चारो धाम
ऐसे मात पिता को मेरा साक्षात् प्रणाम

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