Sunday, March 13, 2011

"एक पैगाम वकील के नाम"

प्यारे वकील साहब
आप जहाँ कही भी हो वही पड़े रहना
जो भी कष्ट पड़े अकेले ही सहना
आपके जाने से किसी को भ्रम होगा
ये बात अपने मन में मत पालना
...जब से आप गए है घर में पूर्ण शांति है
आपके बीमार माता-पिता
चैन से जी रहे है
आपकी पत्नी और बच्चे दोनों वक़्त
बोर्नविटा पी रहे है
इसीलिए प्यारे वकील साहब
आप जहाँ कही भी हो वही पड़े रहना
जो भी कष्ट हो अकेले ही सहना
आपके जाने से समाज से झूठ
निकल गया है
जरुर झूठे मुकदमे वालो का
बुरा हाल हो गया है
सही बात को झठा बनाने मै
आप बहुत महारथी थे
आपकी इस कला के कुछ
बहरूपिये दीवाने थे
पर अब जो सत्य है
वही सामने आने लगा
समाज भी शकुन का जीवन जीने लगा
आपके जाने से झूठे लोग जरुर
दुखी हो गए है
पर आपके मोहले वाले सुखी हो गए है
NOTE-
कृपया जहाँ कही भी ये वकील साहब
मिले और जो इन्हें मनाकर
घर लायेगा
उन्हें पुरस्कार नहीं दंड दिया जायेगा !!
स्वाति "सरू" जैसलमेरिया

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